Thursday, November 4, 2010

आनंद

अधरों कहानी बात वो बोले
जब जब जाए फिर से टन्टोले
मद का क्या मैंने हर वक़्त साधा
बना आदी, छोड़ किनारे, बना अब आधा
जग सब दिलादे मैं जाऊ, अब मद को पाने
है कुछ नहीं . पर जब पी लू तब तब ले आऊ .. .

मद में हिलोर जो लागे
आनंद उपज खुद की ही लागे
जो हो लू ऐसे किसी पीड़ा से
हिलोर मिला मैं पी जाऊ
फिर दिवाली, फिर हो होली
रंग खेलु या फिर दिये जलाऊ .

शुभ दीपावली
॥ पारस ॥

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