Thursday, May 12, 2011

कल फिर

होश की आवाम मैं बेनकाब होते है कई किस्से,
बेहोश दब जाते कुछ, जो कभी महसूस होते है,
अनजान हवा का रुख, दूर कंही से जो निकला है ,
पास आते आते और बेतरतीब सा हो जाता है,
इस दफा , और क्या उस दफा .....
दिल तो कल भी वही करेगा, जितना उसने जाना है

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